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दूध के साथ दही लें या नहीं?

दूध और दही दोनों की तासीर अलग होती है। दही एक खमीर वाली चीज है। दोनों को मिक्स करने से बिना खमीर वाला खाना (दूध) खराब हो जाता है। साथ ही, एसिडिटी बढ़ती है और गैस, अपच व उलटी हो सकती है। इसी तरह दूध के साथ अगर संतरे का जूस लेंगे तो भी पेट में खमीर बनेगा। अगर दोनों को खाना ही है तो दोनों के बीच घंटे-डेढ़ घंटे का फर्क होना चाहिए क्योंकि खाना पचने में कम-से-कम इतनी देर तो लगती ही है।

दूध के साथ तला-भुना और नमकीन खाएं या नहीं?

दूध में मिनरल और विटामिंस के अलावा लैक्टोस शुगर और प्रोटीन होते हैं। दूध एक एनिमल प्रोटीन है और उसके साथ ज्यादा मिक्सिंग करेंगे तो रिएक्शन हो सकते हैं। फिर नमक मिलने से मिल्क प्रोटींस जम जाते हैं और पोषण कम हो जाता है। अगर लंबे समय तक ऐसा किया जाए तो स्किन की बीमारियां हो सकती हैं। आयुर्वेद के मुताबिक उलटे गुणों और मिजाज के खाने लंबे वक्त तक ज्यादा मात्रा में साथ खाए जाएं तो नुकसान पहुंचा सकते हैं। लेकिन मॉडर्न मेडिकल साइंस ऐसा नहीं मानती।

सोने से पहले दूध पीना चाहिए या नहीं?
आयुर्वेद के मुताबिक नींद शरीर के कफ दोष से प्रभावित होती है। दूध अपने भारीपन, मिठास और ठंडे मिजाज के कारण कफ प्रवृत्ति को बढ़ाकर नींद लाने में सहायक होता है। मॉडर्न साइंस में भी माना जाता है कि दूध नींद लाने में मददगार होता है। इससे सेरोटोनिन हॉर्मोन भी निकलता है, जो दिमाग को शांत करने में मदद करता है। वैसे, दूध अपने आप में पूरा आहार है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और कैल्शियम होते हैं। इसे अकेले पीना ही बेहतर है। साथ में बिस्किट, रस्क, बादाम या ब्रेड ले सकते हैं, लेकिन भारी खाना खाने से दूध के गुण शरीर में समा नहीं पाते।

दूध में पत्ती या अदरक आदि मिलाने से सिर्फ स्वाद बढ़ता है, उसका मिजाज नहीं बदलता। वैसे, टोंड दूध को उबालकर पीना, खीर बनाकर या दलिया में मिलाकर लेना और भी फायदेमंद है। बहुत ठंडे या गर्म दूध की बजाय गुनगुना या कमरे के तापमान के बराबर दूध पीना बेहतर है।


नोट : अक्सर लोग मानते हैं कि सर्जरी या टांके आदि के बाद दूध नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे पस पड़ सकती है, यह गलतफहमी है। दूध में मौजूद प्रोटीन शरीर की टूट-फूट को जल्दी भरने में मदद करते हैं। दूध दिन भर में कभी भी ले सकते हैं। सोने से कम-से-कम एक घंटे पहले लें। दूध और डिनर में भी एक घंटे का अंतर रखें।

खाने के साथ छाछ लें या नहीं?

छाछ बेहतरीन ड्रिंक या अडिशनल डाइट है। खाने के साथ इसे लेने से खाने का पाचन भी अच्छा होता है और शरीर को पोषण भी ज्यादा मिलता है। यह खुद भी आसानी से पच जाती है। इसमें अगर एक चुटकी काली मिर्च, जीरा और सेंधा नमक मिला लिया जाए तो और अच्छा है। इसमें अच्छे बैक्टीरिया भी होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं। मीठी लस्सी पीने से फालतू कैलरी मिलती हैं, इसलिए उससे बचना चाहिए। छाछ खाने के साथ लेना या बाद में लेना बेहतर है। पहले लेने से जूस डाइल्यूट हो जाएंगे।

दही और फल एक साथ लें या नहीं?

फलों में अलग एंजाइम होते हैं और दही में अलग। इस कारण वे पच नहीं पाते, इसलिए दोनों को साथ लेने की सलाह नहीं दी जाती। फ्रूट रायता कभी-कभार ले सकते हैं, लेकिन बार-बार इसे खाने से बचना चाहिए।

दूध के साथ फल खाने चाहिए या नहीं?

दूध के साथ फल लेते हैं तो दूध के अंदर का कैल्शियम फलों के कई एंजाइम्स को एड्जॉर्ब (खुद में समेट लेता है और उनका पोषण शरीर को नहीं मिल पाता) कर लेता है। संतरा और अनन्नास जैसे खट्टे फल तो दूध के साथ बिल्कुल नहीं लेने चाहिए। व्रत वगैरह में बहुत से लोग केला और दूध साथ लेते हैं, जोकि सही नहीं है। केला कफ बढ़ाता है और दूध भी कफ बढ़ाता है। दोनों को साथ खाने से कफ बढ़ता है और पाचन पर भी असर पड़ता है। इसी तरह चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक के रूप में खाने के साथ अगर बहुत सारा कैफीन लिया जाए तो भी शरीर को पूरे पोषक तत्व नहीं मिल पाते।

मछली के साथ दूध पिएं या नहीं?

दही की तासीर ठंडी है। उसे किसी भी गर्म चीज के साथ नहीं लेना चाहिए। मछली की तासीर काफी गर्म होती है, इसलिए उसे दही के साथ नहीं खाना चाहिए। इससे गैस, एलर्जी और स्किन की बीमारी हो सकती है। दही के अलावा शहद को भी गर्म चीजों के साथ नहीं खाना चाहिए।

फल खाने के फौरन बाद पानी पी सकते हैं, खासकर तरबूज खाने के बाद?

फल खाने के फौरन बाद पानी पी सकते हैं, हालांकि दूसरे तरल पदार्थों से बचना चाहिए। असल में फलों में काफी फाइबर होता है और कैलरी काफी कम होती है। अगर ज्यादा फाइबर के साथ अच्छा मॉइश्चर यानी पानी भी मिल जाए तो शरीर में सफाई अच्छी तरह हो जाती है। लेकिन तरबूज या खरबूज के मामले में यह थ्योरी सही नहीं बैठती क्योंकि ये काफी फाइबर वाले फल हैं। तरबूज को अकेले और खाली पेट खाना ही बेहतर है। इसमें पानी काफी ज्यादा होता है, जो पाचन रसों को डाइल्यूट कर देता है। अगर कोई और चीज इसके साथ या फौरन बाद/पहले खाई जाए तो उसे पचाना मुश्किल होता है। इसी तरह, तरबूज के साथ पानी पीने से लूज-मोशन हो सकते हैं। वैसे तरबूज अपने आप में काफी अच्छा फल है। यह वजन घटाने के इच्छुक लोगों के अलावा शुगर और दिल के मरीजों के लिए भी अच्छा है।

खाने के साथ फल नहीं खाने चाहिए।

कार्बोहाइड्रेट और प्रोटींस के पाचन का मिकैनिज्म अलग होता है। कार्बोहाइड्रेट को पचानेवाला स्लाइवा एंजाइम एल्कलाइन मीडियम में काम करता है, जबकि नीबू, संतरा, अनन्नास आदि खट्टे फल एसिडिक होते हैं। दोनों को साथ खाया जाए तो कार्बोहाइड्रेट या स्टार्च की पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इससे कब्ज, डायरिया या अपच हो सकती है। वैसे भी फलों के पाचन में सिर्फ दो घंटे लगते हैं, जबकि खाने को पचने में चार-पांच घंटे लगते हैं। मॉडर्न मेडिकल साइंस की राय कुछ और है। उसके मुताबिक, फ्रूट बाहर एसिडिक होते हैं लेकिन पेट में जाते ही एल्कलाइन हो जाते हैं। वैसे भी शरीर में जाकर सभी चीजें कार्बोहाइड्रेट, फैट, प्रोटीन आदि में बदल जाती हैं, इसलिए मॉडर्न मेडिकल साइंस तरह-तरह के फलों को मिलाकर खाने की सलाह देता है।

मीठे फल और खट्टे फल एक साथ न खाएं

आयुर्वेद के मुताबिक, संतरा और केला एक साथ नहीं खाना चाहिए क्योंकि खट्टे फल मीठे फलों से निकलनेवाली शुगर में रुकावट पैदा करते हैं, जिससे पाचन में दिक्कत हो सकती है। साथ ही, फलों की पौष्टिकता भी कम हो सकती है। मॉडर्न मेडिकल साइंस इससे इत्तफाक नहीं रखती।

खाने के साथ पानी पिएं या नहीं?

पानी बेहतरीन पेय है, लेकिन खाने के साथ पानी पीने से बचना चाहिए। खाना लंबे समय तक पेट में रहेगा तो शरीर को पोषण ज्यादा मिलेगा। अगर पानी ज्यादा लेंगे तो खाना फौरन नीचे चला जाएगा। अगर पीना ही है तो थोड़ा पिएं और गुनगुना या नॉर्मल पानी पिएं। बहुत ठंडा पानी पीने से बचना चाहिए। पानी में अजवाइन या जीरा डालकर उबाल लें। यह खाना पचाने में मदद करता है। खाने से आधा घंटा पहले या एक घंटा बाद गिलास भर पानी पीना अच्छा है।

लहसुन या प्याज खाने चाहिए या नहीं?

लहसुन और प्याज को रोजाना के खाने में शामिल किया जाना चाहिए। लहसुन फैट कम करता है और बैड कॉलेस्ट्रॉल (एलडीएल) घटाकर गुड कॉलेस्ट्रॉल (एचडीएल) बढ़ाता है। इसमें एंटी-बॉडीज और एंटी-ऑक्सिडेंट गुण होते हैं। प्याज से भूख बढ़ती है और यह खून की नलियों के आसपास फैट जमा होने से रोकता है। लंबे समय तक इसके इस्तेमाल से सर्दी-जुकाम और सांस संबंधी एलर्जी का मुकाबला अच्छे से किया जा सकता है। लहसुन और प्याज कच्चा या भूनकर, दोनों तरह से खा सकते हैं। लेकिन लहसुन कच्चा खाना बेहतर है। कच्चे लहसुन को निगलें नहीं, चबाकर खाएं क्योंकि कच्चा लहसुन कई बार पच नहीं पाता। साथ ही, उसमें कई ऐसे तेल होते हैं, जो चबाने पर ही निकलते हैं और उनका फायदा शरीर को मिलता है।

परांठे के साथ दही खाएं या नहीं?

आयुर्वेद के मुताबिक परांठे या पूरी आदि तली-भुनी चीजों के साथ दही नहीं खाना चाहिए क्योंकि दही फैट के पाचन में रुकावट पैदा करता है। इससे फैट्स से मिलनेवाली एनजीर् शरीर को नहीं मिल पाती। दही खाना ही है तो उसमें काली मिर्च, सेंधा नमक या आंवला पाउडर मिला लें। हालांकि रोटी के साथ दही खाने में कोई परहेज नहीं है। मॉडर्न साइंस कहता है कि दही में गुड बैक्टीरिया होते हैं, जोकि खाना पचाने में मदद करते हैं इसलिए दही जरूर खाना चाहिए।

फैट और प्रोटीन एक साथ खाएं या नहीं?

घी, मक्खन, तेल आदि फैट्स को पनीर, अंडा, मीट जैसे भारी प्रोटींस के साथ ज्यादा नहीं खाना चाहिए क्योंकि दो तरह के खाने अगर एक साथ खाए जाएं, तो वे एक-दूसरे की पाचन प्रक्रिया में दखल देते हैं। इससे पेट में दर्द या पाचन में गड़बड़ी हो सकती है।


दूध, ब्रेड और बटर एक साथ लें या नहीं?

दूध को अकेले लेना ही बेहतर है। तब शरीर को इसका फायदा ज्यादा होता है। आयुर्वेद के मुताबिक प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और फैट की ज्यादा मात्रा एक साथ नहीं लेनी चाहिए क्योंकि तीनों एक-दूसरे के पचने में रुकावट पैदा कर सकते हैं और पेट में भारीपन हो सकता है। मॉडर्न साइंस इसे सही नहीं मानता। उसके मुताबिक यह सबसे अच्छे नाश्तों में से है क्योंकि यह अपनेआप में पूरा है।

तरह-तरह की डिश एक साथ खाएं या नहीं?

एक बार के खाने में बहुत ज्यादा वैरायटी नहीं होनी चाहिए। एक ही थाली में सब्जी, नॉन-वेज, मीठा, चावल, अचार आदि सभी कुछ खा लेने से पेट में खलबली मचती है। रोज के लिए फुल वैरायटी की थाली वाला कॉन्सेप्ट अच्छा नहीं है। कभी-कभार ऐसा चल जाता है।

खाने के बाद मीठा खाएं या नहीं?
मीठा अगर खाने से पहले खाया जाए तो बेहतर है क्योंकि तब न सिर्फ यह आसानी से पचता है, बल्कि शरीर को फायदा भी ज्यादा होता है। खाने के बाद में मीठा खाने से प्रोटीन और फैट का पाचन मंदा होता है। शरीर में शुगर सबसे पहले पचता है, प्रोटीन उसके बाद और फैट सबसे बाद में।

खाने के बाद चाय पिएं या नहीं?

खाने के बाद चाय पीने से कई फायदा नहीं है। यह गलत धारणा है कि खाने के बाद चाय पीने से पाचन बढ़ता है। हालांकि ग्रीन टी, डाइजेस्टिव टी, कहवा या सौंफ, दालचीनी, अदरक आदि की बिना दूध की चाय पी सकते हैं।

छोले-भठूरे या पिज्जा/बर्गर के साथ कोल्ड ड्रिंक्स लें या नहीं?

कोल्ड ड्रिंक में मौजूद एसिड की मात्रा और ज्यादा शुगर फास्ट फूड (पिज्जा, बर्गर, फ्रेंच फ्राइस आदि) में मौजूद फैट के साथ अच्छा नहीं माना जाता। तला-भुना खाना एसिडिक होता है और शुगर भी एसिडिक होती है। ऐसे में दोनों को एक साथ लेना सही नहीं है। साथ ही बहुत गर्म और ठंडा एक साथ नहीं खाना चाहिए। गर्मागर्म भठूरे या बर्गर के साथ ठंडा कोल्ड ड्रिंक पीना शरीर के तापमान को खराब करता है। स्नैक्स में मौजूद फैटी एसिड्स शुगर का पाचन भी खराब करते हैं। फास्ट फूड या तली-भुनी चीजों के साथ कोल्ड ड्रिंक के बजाय जूस, नीबू-पानी या छाछ ले सकते हैं। जूस में मौजूद विटामिन-सी खाने को पचाने में मदद करता है।

भारी काबोर्हाइड्रेट्स के साथ भारी प्रोटीन खाएं या नहीं?

मीट, अंडे, पनीर, नट्स जैसे प्रोटीन ब्रेड, दाल, आलू जैसे भारी कार्बोहाइड्रेट्स के साथ न खाएं। दरअसल, हाई प्रोटीन को पचाने के लिए जो एंजाइम चाहिए, अगर वे एक्टिवेट होते हैं तो वे हाई कार्बो को पचाने वाले एंजाइम को रोक देते हैं। ऐसे में दोनों का पाचन एक साथ नहीं हो पाता। अगर लगातार इन्हें साथ खाएं तो कब्ज की शिकायत हो सकती है


चीनी बनाने की प्रक्रिया मेँ गंधक का सबसे अधिक प्रयोग होता है । गंधक माने पटाखोँ का मसाला ।
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गंधक अत्यंत कठोर धातु है जो शरीर मेँ चला तो जाता है परंतु बाहर नहीँ निकलता
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चीनी कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाती है जिसके कारण हृदयघात या हार्ट अटैक आता है
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चीनी शरीर के वजन को अनियन्त्रित कर देती है जिसके कारण मोटापा होता है
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चीनी रक्तचाप या ब्लड प्रैशर को बढ़ाती है ।
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चीनी ब्रेन अटैक का एक प्रमुख कारण है
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चीनी की मिठास को आधुनिक चिकित्सा मेँ सूक्रोज़ कहते हैँ जो इंसान और जानवर दोनो पचा नहीँ पाते
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चीनी बनाने की प्रक्रिया मेँ तेइस हानिकारक रसायनोँ का प्रयोग किया जाता है
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चीनी डाइबिटीज़ का एक प्रमुख कारण है
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चीनी पेट की जलन का एक प्रमुख कारण है
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चीनी शरीर मे ट्राइ ग्लिसराइड को बढ़ाती है
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चीनी पेरेलिसिस अटैक या लकवा होने का एक प्रमुख कारण है
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चीनी बनाने की सबसे पहली मिल अंग्रेजोँ ने 1868 मेँ लगाई थी । उसके पहले भारतवासी शुद्ध देशी गुड़ खाते थे और कभी बिमार नहीँ पड़ते थे ।
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चीनी से मिश्री पे आएँ और मिश्री से गुड़ पे आएँ
* दांतों का गलना – छुहारे खाकर गर्म दूध पीने से कैलशियम की कमी से होने वाले रोग, जैसे दांतों की कमजोरी, हड्डियों का गलना इत्यादि रूक जाते हैं।
* रक्तचाप – कम रक्तचाप वाले रोगी 3-4 खजूर गर्म पानी में धोकर गुठली निकाल दें। इन्हें गाय के गर्म दूध के साथ उबाल लें। उबले हुए दूध को सुबह-शाम पीएं। कुछ ही दिनों में कम रक्तचाप से छुटकारा मिल जायेगी।

* कब्ज – सुबह-शाम तीन छुहारे खाकर बाद में गर्म पानी पीने से कब्ज दूर होती है। खजूर का अचार भोजन के साथ खाया जाए तो अजीर्ण रोग नहीं होता तथा मुंह का स्वाद भी ठीक रहता है। खजूर का अचार बनाने की विधि थोड़ी कठिन है, इसलिए बना-बनाया अचार ही ले लेना चाहिए।
* पुराने घाव – पुराने घावों के लिए खजूर की गुठली को जलाकर भस्म बना लें। घावों पर इस भस्म को लगाने से घाव भर जाते हैं।

* मासिक धर्म : छुहारे खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है और कमर दर्द में भी लाभ होता है।
* खजूर गर्भवती महिलाओं में दूध की मात्रा में वृद्धि करता है और अधिक ऊर्जा प्रदान करता है।
* आंख की पलक पर गुहेरी रोग हो जाता है। खजूर की गुठली को रगड़कर गुहेरी पर लगाए। आराम मिलेगा।

* मोटापा - खजूर का सेवन मोटापा लाता है तथा शरीर का भार बढ़ता है, अतः मोटे व्यक्ति सोचकर खाए। दुबले व्यक्ति भार बढ़ाने के लिए खा सकते हैं।
* जिनकी पाचन शक्ति अच्छी हो वे खजूर खाएं, क्योंकि यह पचाने में समय लेती है। छुहारे, पुरा वर्ष उपलब्ध रहते है। खजूर केवल सर्दी में तीन महीने। जब जो उपलब्ध हो, उसका सेवन करें

शाम को भोजन के पश्चात देर रात तक जागना या खुले बदन घूमना हानिकारक है किंतु सुबह की धूप जरूर लें।

इस ऋतु में आलस्य खूब आता है और बिस्तर में दबे रहने का इरादा होता है, लेकिन आलस्य करना ठीक नहीं। इन बातों पर अमल करके आप तंदुरुस्त और बलवान बन सकते हैं।

कमजोरी : जो लोग दुबलेपन का शिकार हैं उन्हें भोजन के साथ दो या तीन चम्मच शहद खाना चाहिए तथा रात को सोते समय ठंडे फीके दूध में शहद घोलकर पीना चाहिए।

थकावट : एक गिलास ठंडे पानी में 1-2 चम्मच शहद घोलकर पीने से शरीर में चुस्ती-फुर्ती आती है।

अपच : अपच होने पर पालक की सब्जी खाएं व टमाटर का रस पीएं।

पैर के तले में जलन होना : पैर के तलवे में जलन होने पर बड़े-बड़े लौकी के टुकड़े काटकर उस पर घिसें।

कब्ज : कब्ज न हो इसलिए दोनों समय खाना खाने के बाद थोड़ा-सा गुड़ खा लें।

बवासीर : नीबू काटकर, उस पर खाने का कत्था लेपकर रात को छत पर रख दें। सुबह-सुबह इसे चूसें, बवासीर में लाभ होगा।

खूनी बवासीर : अमरूद काटकर नौसादर का लेप करें, रातभर खुले स्थान पर रखें, सुबह-सुबह खा लें। खूनी बवासीर में लाभ होगा
जीरा,धनिया और मिश्री तीनों को बराबर मात्रा में मलाकर पीस लें | इस चूर्ण की २-२ चम्मच सुबह-शाम सादे पानी से लेने पर अम्लपित्त या एसिडिटी ठीक हो जाती है |


एसिडिटी से तुरंत राहत पाने के लिये, एक चुटकी कच्‍चा जीरा ले कर मुंह में डाल कर खाने से फायदा मिलता है।


जीरा,सेंधा नमक,काली मिर्च,सौंठ और पीपल सबको समान मात्रा में लेकर पीस लें | इस चूर्ण को एक चम्मच की मात्रा में भोजन के बाद ताजे पानी से लेने पर अपच में लाभ होता है |


पांच ग्राम जीरे को भूनकर तथा पीसकर दही की लस्सी में मिलाकर सेवन करने से दस्तों में लाभ होता है |


15 ग्राम जीरे को 400 मिली पानी में उबाल लें | जब 100 ग्राम शेष रह जाये तब 20-40 मिली की मात्रा में प्रातः-सांय पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |


एक चम्मच भुने हुए जीरे के बारीक़ चूर्ण में एक चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन भोजन के बाद सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है |


इसमें एंटीसेप्‍टिक तत्‍व भी पाया जाता है, जो कि सीने में जमे हुए कफ को निकाल कर बाहर करता है और सर्दी-जुखाम से राहत दिलाता है। यह गरम होता है इसलिये यह कफ को बिल्‍कुल अच्‍छी तरह से सुखा देता है।


यदि आप नींद न आने की बीमारी से ग्रस्त हैं तो एक छोटा चम्मच भुना जीरा पके हुए केले के साथ मैश करके रोजाना रात के खाने के बाद खाएं.


जब भी सर्दी-जुखाम हो, तो एक ग्‍लास पानी में जीरा ले कर उबाल लें और इस पानी को पिएं। कई साउथ इंडियन घरों में सादा उबला पानी न पी कर 'जीरा पानी' पिया जाता है।


जीरे को बारीक़ पीस लें | इस चूर्ण का 3-3 ग्राम गर्म पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करने से पेट के दर्द तथा बदन दर्द से छुटकारा मिलता है |


जीरा आयरन का सबसे अच्‍छा स्‍त्रोत है, जिसे नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर होती है। साथ ही गर्भवती महिलाएं, जिन्‍हें इस समय खून और आयरन की जरुरत होती है, उनके लिये जीरा अमृत का काम करता है।


जीरा खाने से लीवर मजबूत होता है और उसकी शरीर से गंदगी निकालने की क्षमता में भी सुधार आता है।


ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए आघा छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ पीएं। डायबिटीज रोगियों को यह काफी फायदा पहुंचाता है।


कब्जियत की शिकायत होने पर जीरा, काली मिर्च, सोंठ और करी पावडर को बराबर मात्रा में लें और मिश्रण तैयार कर लें। इसमें स्वादानुसार नमक डालकर घी में मिलाएं और चावल के साथ खाएं। पेट साफ रहेगा और कब्जियत में राहत मिलेगी।
पैरों के तलवों में जलन, दर्द या सूजन की समस्या से परेशान लोगों के लिए "बॉटल मसाज" थैरेपी काफी उपयोगी होती है।



ऎसे करें :-
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इसके लिए प्लास्टिक की बोतल को 1/3 पानी से भर लें और फ्रीजर में जमने के लिए रख दें। बोतल में जब बर्फ जम जाए तो उसे बाहर निकालें और आसपास का पानी पोंछ दें। बोतल को एक सूखे टॉवल, कपड़े या डोरमैट पर रख दें। अब कुर्सी या सोफे पर बैठ जाएं और पैरों के तलवे के बीच वाले हिस्से को बोतल पर रखें व बोतल को तलवों की सहायता से आगे-पीछे करें। इससे आपके तलवों में रक्त संचार होगा और मांसपेशियों की हल्की मसाज होगी। इस प्रयोग को 10-15 मिनट तक कर सकते हैं।


ध्यान रहें ये बातें:-
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लाभ :-
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इस प्रयोग को आप बिना किसी की मदद से घर या दफ्तर में आराम से कर सकते हैं।

सावधानी :-
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किसी भी इंफेक्शन, घाव या स्किन एलर्जी वाली जगह पर बॉटल मसाज करने से बचें।

पानी के लिए प्लास्टिक की साफ-सुथरी बोतल लें, कांच की नहीं।

ध्यान दें कि बोतल का ढक्कन अच्छी तरह से बंद रहे।

इस प्रयोग के बाद फौरन नहाना नहीं चाहिए।
पैरों में जलन-गर्मी के दिनों में अकसर पैरों में जलन महसूस होती
 है। निम्नलिखित उपचार करके जलन से छुटकारा पाया जा सकता है-


चन्दन के पाउडर में गुलाब जल मिलाकर लेप लगाने से जलन से आराम मिलता है। पेरों पर घी मलने से जलन मिट जाती है।


रात को सोते समय मलाई में कुछ बूंदें नींबू का रस मिलाकर कर तलवों की मालिश करें। सुबह पानी से धो लें। ऐसा करने से तलवे फटते नहीं हैं।


एडियों और तलवों पर ऑलिव ऑयल से मसाज करें। नियमित रूप से ऐसा करने से तलवों की त्वचा कोमल बनी रहती है।


करेले केताजे पत्तों का लेप या रस लगाने से पैरों में जलन से आराम मिलता है।


मेहंदी और सिरके या नींबू के रस को मिला कर एक पेस्ट तैयार करें। पेस्ट को लगाने से जलन से छुटकारा मिलता है।


पेरों पर घी मलने से जलन मिट जाती है। लौकी के टुकडों को पैरों पर रगडने से आराम मिलता है।


तिल के तेल से पैरों की मालिश करें फिर गुनगुने पानी में थोडी देर सेंक करें। इससे तलवों की त्वचा कोमल होगी और पैरों में नमी बनी रहेगी।


देशी घी में नमक मिलाकर पैरों पर मसाज करने से पैर फटते नहीं हैं।


सेंधा नमक का सेवन ज्यादातर लोग व्रत के दौरान करते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि इसका सेवन हमारे लिए कितना फायदेमंद होता है, आइए हम आपको बताते हैं सेंधा नमक हमारे शरीर के लिए कितना फायदेमंद है।



सेंधा नमक के फायदें

रॉक साल्ट (सेंधा नमक) सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता, बल्कि इसका उपयोग कई तरह के उपचार में भी किया जाता है। ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि बीमारियों में डॉक्टर नमक के इस्तेमाल पर ध्यान रखने की सलाह देते हैं। जबकि सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप नियन्त्रण में रहता है। साथ ही यह डेड स्किन को दूर करने से लेकर बॉडी को रिफ्रेश तक करने में सेंधा नमक बहुत ही उपयोगी होता है।


एक्टिव और फिट रखता है

रॉक साल्ट में लगभग 84 प्रकार के ऐसे मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होते हैं। खासतौर से इसमें मौजूद मैग्नीशियम और कैल्शियम बहुत ही लाभ पहुंचाते हैं। ये बॉडी को फिट रखने के लिए सबसे जरूरी तत्व माने जाते हैं। सेंधा नमक को खाने में शामिल करके बॉडी को एक्टिव और फिट रखा जा सकता है।बहुत ही कम लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि सेंधा नमक सांसों से जुड़ी कई प्रकार की समस्याओं को दूर करता है। अस्थमा से जूझ रहे मरीजों को सेंधा नमक का सेवन जरूर करना चाहिए।


मेटाबॉलिज्म सही रखता है

सेंधा नमक के सेवन से मेटाबॉलिज्म का लेवल सही बना रहता है, जो पूरी बॉडी के फंक्शन के लिए जिम्मेदार होता है। सेंधा नमक शरीर में पानी की उचित मात्रा को भी बनाए रखता है। इससे बॉडी को हाइड्रेट रहती है, साथ ही डाइजेशन भी सही रहता है। खाने में इसे शामिल करके ब्लड सर्कुलेशन को भी सही रखा जा सकता है। सही ब्लड सर्कुलेशन कई सारी बीमारियों को दूर रखने में मददगार होता है।


मूड को सही रखता है

सेंधा नमक बॉडी में ऑक्सीजन की उचित मात्रा को भी बनाए रखता है। बॉडी में ऑक्सीजन के सही फ्लो से कई बीमारियां दूर रहती हैं। इससे सीजनल बुखार में भी राहत मिलती है।रॉक साल्ट लैम्पस में मौजूद अरोमा बॉडी और दिमाग को रिलैक्स करता है। इससे तनाव, चिंता जैसी समस्याएं कोसों दूर रहती हैं।




भूख को बढ़ाता है

भूख न लगने की समस्या को भी सेंधा नमक खाकर दूर किया जा सकता है। इसकी चुटकी भर मात्रा खाने से डाइजेशन सही रहता है।खाने-पीने में लापरवाही और गड़बड़ी से अपच, कब्ज, गैस और एसिडिटी की समस्या आम बात है। यह कई बीमारियों का कारण बनती है। ऐसी किसी भी समस्या को दूर करने के लिए खाने के बाद सेंधा नमक का सेवन करना फायदेमंद रहेगा।




सुशील गुप्ता


संपर्क~08090383837
जैसे-जैसे मौसम बदल रहा है, वैसे-वैसे बीमारियों का आलम भी बढ़ने लगा है। इन दिनों पीलिया (जॉन्‍डिस) अपने चरम पर पहुंच चुका है। पीलिया कोई बीमारी नहीं है बल्‍कि लक्षण है। यदि आपको लगे कि आपके शरीर, नाखून या आंखों का रंग पीला होना शुरु हो गया है तथा उसे पीलिया हो सकता है, तो वह पानी की मात्रा बढ़ा दें

पीलिया से बचने का सबसे अच्‍छा उपाय है, यह जान लेना कि वह होता क्‍यूं है। इसके होने का सबसे अहम कारण है हेपाटाइटिस संक्रमण, खासतौर पर हेपाटाइटिस A। यह रोग ज्‍यादातर ऐसे लोगों में फैलता है, जो व्‍यक्तिगत व वातावरणीय सफाई पर कम ध्‍यान देते हैं या फिर देते ही नहीं है।



इस रोग का पता रक्‍त की जांच, मल की जांच तथा लीवर की कार्यशक्‍ति की जांच कर के लगाया जा सकता है। अब आइये जानते हैं पीलिया से बचाव के क्‍या-क्‍या तरीके हैं?

टीकाकरण करवाएं

हाल के अध्ययनों और शोधकर्ताओं दृारा पता चला है कि पीलिया से बचाव के लिये टीकाकरण का इस्‍तमाल किया जा सकता है। इन दवाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिये कई प्रोग्राम्‍स का आयोजन किया जा रहा है।

शराब से रहें दूर

शराब एक धीमे ज़हर की तरह है जो, आपके लीवर को सबसे पहले प्रभावित करता है। अत्‍याधिक शराब पीने से लीवर की कोशिकाएं धीरे-धीरे मरने लगती हैं और व्‍यक्ति को जॉनडिस यानी पीलिया हो जाता है। पीलिया के बाद हेपेटाइटिस और फिर लीवर सिरोसिस।

कोलेस्‍ट्रॉल घटाएं

मोटापा और जान्‍डिस,दोनों एक साथ जुड़े हुए हैं। वसा युक्‍त आहार LSD लेवल को बढ़ा देते हैं, जिससे फैटी लीवर और लीवर डैमेज होने का खतरा बढ़ जाता है।

सही आहार खाएं

अच्‍छा खाना और सही खाना, आपको ना केवल पीलिया बल्‍कि अन्‍य बीमारियों से भी बचा सकता है। इसलिये हमेशा पौष्टिक आहार खाएं ना कि बाहार का चटर-पटर।

सूरज की धूप सेकें

सही मात्रा में सूरज की धूप दिलाने से भी शिशुओं तथा बडे़ लोगों में पीलिया रोग को ठीक किया जा सकता है।

बेकार की दवाइयां न खाएं

हमेशा वही दवाई खानी चाहिये, जिसे डॉक्‍टर ने लिखी हो। अगर ऐसा न किया गया तो, लीवर की कोशिकाओं को अन्‍य प्रकार की दवाइयों को लेने में ज्‍यादा महनत करनी पड़ सकती है, जिससे पीलिया होने का खतरा हो सकता है।

बिल्‍कुल ना खाएं इन्‍हें…

कॉफी, लाल मिर्च, तंबाकू, गरम मसाले या फि चाय आदि का अधिक सेवन ना करें।

साफ-सफाई का ख्‍याल रखें

खुद की सफाई तथा अपने आस-पास की जगहों की सफाई रखना बड़ा जरुरी है। इसके अलावा बाहर का गंदा, बासी खाना नहीं खाना चाहिये। पानी भी हमेशा साफ पीना चाहिये, क्‍योंकि पानी से पीलिया सबसे जल्‍दी पकड़ता है।

खुद से करें बचाव

अपने खुद के निजी सामानों को जैसे, खाने की प्‍लेट, चम्‍मच, कपड़े, कंघी आदि को दूसरों के साथ शेयर ना करें, खास तौर पर उस व्‍यक्‍ति के साथ जिसे हेपाटाइटिस हो चुका हो।

हाथों को धोना न भूलें

पानी या खाना लेते समय अपने हाथों को धोना न भूलें। साथ ही पबलिक टॉयलेट का प्रयोग करने के बाद भी हाथों को साबुन से धोना ना भूलें। दरवाजों के हैंडल या नल आदि को छूने से काफी बैक्‍टीरिया आपके हाथों में आ सकते हैं।


सुशील गुप्ता
पुष्टिवर्धक प्रयोग ****गिरीश 🔥 ****
1.जौ: जौ का पानी में भिगोकर, कूट के, छिलका रहित कर उसे दूध में खीर की भाँति पकाकर सेवन करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट होता है और मोटापा कम होता है।
2. नींबू : एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू को निचोड़कर पीते रहने से शरीर के अंग-अंग में नई शक्ति महसूस होती है, आंखों की रोशनी बढ़ती है, मानसिक कमजोरी, सिर में दर्द और पुट्ठों में झटके लगना बन्द हो जाते हैं। अधिक मेहनत के कारण आई कमजोरी में इस पानी में बिना नमक या चीनी को मिलाकर घूंट-घूंट करके पीने से शरीर में कमजोरी नहीं रहती हैं। ध्यान रहें कि पथरी के रोगी को नींबू नहीं देना चाहिए।
रात्रि में एक गिलास पानी में एक नींबू निचोड़ कर उसमें दो किशमिश भिगो दें। सुबह पानी छानकर पी जायें एवं किशमिश चबाकर खा लें। यह एक अदभुत शक्तिदायक प्रयोग है।
3. केला: केले को सुबह खाने से उसकी कीमत ताँबे जैसी, दोपहर को खाने से चाँदी जैसी और शाम को खाने से सोने जैसी होती है। शारीरिक श्रम न करने वालों को केला नहीं खाना चाहिए। केला सुबह खाली पेट भी नहीं खाना चाहिए। भोजन के बाद दो केले खाने से पतला शरीर मोटा होने लगता है।
4. बिनौला : लगभग 50 ग्राम की मात्रा में बिनौला को लेकर भून लें और कूटकर इसका चूर्ण बना लें। लगभग 50 ग्राम की मात्रा में सफेद मूसली को लेकर बिनौला के चूर्ण के साथ अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इसके बाद लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम इस चूर्ण को दूध के साथ सेवन करने से मनुष्य के शरीर में शक्ति का विकास होता है।
5. मालकांगनी : लगभग 250 ग्राम मालकांगनी को गाय के घी में भूनकर, इसमें 250 ग्राम शक्कर मिलाकर चूर्ण बना लें। अब इस चूर्ण को लगभग 6 ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ सुबह और शाम को खाने से मनुष्य के शरीर में ताकत का विकास होता है। इसका सेवन लगभग 40 दिनों तक करना चाहिए।
6. घी : लगभग 20 ग्राम घी को 30 ग्राम शहद के साथ मिलाकर भोजन करने के बाद खाने से मनुष्य की याददाश्त के साथ ही साथ उसके शरीर की ताकत भी बढ़ती है।
7 लगभग 250 ग्राम की मात्रा में शुद्ध देसी घी में बनी जलेबियों को लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध के साथ रोजाना सुबह के समय लेने से मनुष्य की लम्बाई बढ़ती है। इसका सेवन लगातार 2 या 3 महीने तक करना चाहिए।
8. दालचीनी : दालचीनी को बारीक पीसकर इसका चूर्ण बना लें। शाम को इसके लगभग 2 ग्राम चूर्ण को 250 मिलीलीटर दूध में डालकर एक चम्मच शहद को मिलाकर पीने से शरीर की ताकत के साथ-साथ मनुष्य के वीर्य यानी धातु में भी वृद्धि होती है।
9. चना : लगभग 50 ग्राम की मात्रा में चने की दाल को लेकर 100 मिलीलीटर कच्चे दूध में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इस दाल में किशमिश और मिश्री मिलाकर अच्छी तरह से चबा कर खायें। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए। इससे शरीर को ताकत मिलती है और मनुष्य का वीर्य और बल भी बढ़ता है।रात को सोते समय थोड़े से देसी चने लेकर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह उठकर गुड़ के साथ इन चनों को रोजाना खूब-खूब चबाकर खाने से शरीर की लम्बाई बढ़ती है। चनों की मात्रा शरीर की पाचन शक्ति के अनुसार बढ़ानी चाहिए। इन चनों को दो या तीन महीने तक खाना चाहिए।
10. विदारीकन्द : लगभग 6 ग्राम की मात्रा में विदारीकन्द के चूर्ण को लगभग 10 ग्राम गाय के घी में और लगभग 20 ग्राम शहद में मिलाकर गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में ताकत आती है। इसका सेवन लगातार 40 दिनों तक करना चाहिए।
11. तुलसी : एक निश्चित मात्रा में तुलसी के बीज या पत्तों को भूनकर इतनी ही मात्रा में इसमें गुड़ मिलाकर लगभग 1-1 ग्राम की गोलियां बनाकर सुबह और शाम को 1-1 गोली गाय के दूध के साथ लेने से शरीर में भरपूर ताकत आती है और व्यक्ति की मर्दानगी भी बढ़ती है।लगभग आधा ग्राम की मात्रा में तुलसी के पीसे हुए बीजों को सादे या कत्था लगे पान के साथ रोजाना सुबह और शाम खाली पेट खाने से मनुष्य के वीर्य, बल और खून में वृद्धि होती है।लगभग एक भाग तुलसी के बीजों के चूर्ण को दो भाग पुराने गुड़ में मिलाकर खाने से शरीर में ताकत आती है। इसका प्रयोग लगभग 14 दिनों अथवा 40 दिनों तक करना चाहिए और इसका सेवन केवल सर्दी के दिनों में ही करना चाहिए।
12. केला : दिन में खाना-खाने के बाद 2 या 3 पके केले रोजाना नियमित रूप से खाने से शरीर में शक्ति, मांस और चर्बी बढ़ती है। इसका प्रयोग लगातार 2 महीने तक करने से शरीर सुंदर बन जाता है।
13. आंवला : लगभग 10 ग्राम की मात्रा में हरे आंवला को लगभग इतनी ही मात्रा में शहद में मिलाकर खाने से मनुष्य के वीर्य-बल में वृद्धि होती है। आंवलों के मौसम में इसका सेवन रोजाना सुबह के समय लगभग 1 से 2 महीने तक करना चाहिए।
बराबर मात्रा में आंवले का चूर्ण, गिलोय का रस, सफेद मूसली का चूर्ण, गोखरू का चूर्ण, तालमखाना का चूर्ण, अश्वगंध का चूर्ण, शतावरी का चूर्ण, कौंच के बीजों का चूर्ण और मिश्री का चूर्ण लेकर इनका मिश्रण बना लें। अब इस मिश्रण को रोजाना सुबह और शाम को लगभग 10 से 15 ग्राम की मात्रा में फांककर ऊपर से हल्का गर्म दूध पीने से मनुष्य के संभोग करने की शक्ति का विकास होता है। इसको लगातार 3 या 4 महीने तक फायदा होने तक खाना चाहिए।
14. किशमिश : सुबह के समय लगभग 25 से 30 किशमिश लेकर इनको गर्म पानी से धोकर साफ कर लें और कच्चे दूध में डाल दें। आधा या एक घंटे बाद उस दूध को गर्म करें। इसके बाद किशमिश को एक-एक करके खा लें और ऊपर से उसी दूध को पी लें। ऐसा करने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा आवश्यकता से अधिक ठंड़ का अनुभव, पुरानी बीमारी, अधिक कमजोरी, जिगर की खराबी और बदहजमी दूर हो जाती है।
15. अंगूर : लगभग 25 मिलीलीटर की मात्रा में अंगूर का रस भोजन करने के आधे घंटे बाद पीने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा इसका रस पीने से पेट फूलना, अफारा, दिल का दौरा पड़ना, चक्कर आना, सिरदर्द और भोजन न पचना आदि बीमारियां दूर हो जाती है। इसका सेवन लगभग 2 या 3 हफ्ते तक लगातार करना चाहिए। इसके अलावा इसका सेवन महिलाओं के लिए भी लाभकारी होता है। कमजोर बच्चों को भोजन के बाद अंगूर का रस पिलाना काफी लाभकारी सिद्ध होता है। अंगूर का रस बच्चों के चेहरे को लाल कर देता है।
16. पालक : शरीर में कमजोरी आने पर या खून की कमी होने पर लगभग 225 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना पालक का रस पीना चाहिए। इससे चेहरा एक दम गुलाब की तरह लाल हो जाता है। इसके अलावा इसका रस पीने से मानसिक तनाव और हाई ब्लडप्रेशर भी सामान्य रहता है।
17. टमाटर : टमाटर का रोजाना सेवन करने से खून शुद्ध रहता है, और खून में वृद्धि होती है। टमाटर खाने से आंखों के रोग, जिगर में किसी तरह की खराबी आने के कारण होने वाली सुस्ती, आंतों के कीड़े और आमाशय की कमजोरी दूर होती है। टमाटर पाचन क्रिया को बढ़ाता है। पथरी वाले व्यक्ति को टमाटर नहीं खाना चाहिए।
18. सौंफ : सौंफ और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम भोजन के बाद दो चम्मच लेने से दिमाग तेज होता है। इसका सेवन लगातार एक या दो महीने तक करना चाहिए।
19 मालकांगनी :मालकांगनी के बीज, बच, देवदारू और अतीस आदि का मिश्रण बना लें। रोज सुबह-शाम इस मिश्रण को 1 चम्मच घी के साथ पीने से दिमाग तेज और फुर्तीला बनता है।
मालकांगनी के तेल की 5-10 बूंदे मक्खन के साथ सेवन करने से भी शरीर को लाभ मिलता है।
20. धनिया :शक्ति को ऊर्जा भी कहते हैं। यह ऊर्जा मनुष्य को भोजन से मिलती है। परन्तु धनिया इस ऊर्जा को और बढ़ा देता है। इसके लिए आपको खाना खाने के बाद दस दाने धनिया के मुंह में डालने होंगे। इन दानों को दाढ़ों से कुचलकर इसका रस कंठ (गले) के नीचे उतार लीजिए और दानों को थूक देते हैं। ठीक आधा घंटे बाद आप देखेंगे कि आपके शरीर में गर्मी बढ़ गई। यह गर्मी पसीना लाने वाली गर्मी नहीं होती बल्कि यह पाचनक्रिया को सही करने वाली गर्मी होती है क्योंकि जब पाचन क्रिया में वृद्धि होगी तब भोजन समय से तथा ठीक प्रकार से पच जाएगा। इसके बाद रक्त में जो ऊर्जा पैदा होती है वह पूरे शरीर में फुर्तीलापन लाती है।लगभग 3 ग्राम की मात्रा में साबुत सूखे धनिये को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को ठंड़े पानी और मिश्री के साथ मिलाकर गर्मी के दिनों में पीने से पित्त के कारण होने वाले रोगों से छुटकारा मिल जाता है।
21. मौसमी : मौसमी का रस मस्तिष्क और जिगर को शक्ति तथा स्फूर्ति देता है। जटिल रोगों तथा बुखार में मौसमी का रस सेवन करने से रोगी कमजोर नहीं होता है। मौसमी को खाने से शरीर में से विषैले पदार्थ निकल जाते हैं। इसका नियमित रूप से सेवन करने से कब्ज, सिरदर्द, काम करने में मन न लगना, थोड़ा काम करने पर थक जाना, रात को नींद न आना आदि कष्ट दूर हो जाते हैं। मौसमी का रस दूध में मिलाकर छोटे बच्चों को पिलाना चाहिए।
22. मुनक्का : लगभग 60 ग्राम मुनक्का को धोकर भिगो दें। 12 घण्टे के बाद भीगे हुए मुनक्के खाने से पेट के रोग दूर होते है और शरीर में खून और वीर्य बढ़ जाता है। मुनक्का की मात्रा धीरे-धीरे बढ़ाकर 200 ग्राम तक सेवन करने से लाभ मिलता हैं।मुनक्का को गर्म पानी से धोकर रात को भिगो दें। प्रात: समय उसके पानी को पीलें तथा दानों को खालें। ऐसा रोजाना करने से शारीरिक कमजोरी दूर हो जाती हैं। खून और शक्ति उत्पन्न होती हैं। फेफड़ों को बल मिलता हैं।रात को सोने से पहले लगभग 10 या 12 मुनक्का को धोकर पानी में भिगो दें। इसके बाद सुबह उठकर मुनक्का के बीजों को निकालकर मुनक्का को अच्छी तरह से चबाकर खाने से शरीर में खून बढ़ता है। इसके अलावा मुनक्का खाने से खून साफ होता है और नाक से बहने वाला खून भी बन्द हो जाता है। मुनक्का का सेवन 2 या 4 हफ्ते तक करना चाहिए।
23. मूंग : मूंग के लड्डू खाने से भी शरीर में शक्ति बढ़ती हैं। मूंग को सेंककर आटा बना लें। आटे के बराबर घी लेकर, कड़ाही में धीमी आंच पर रखें और कलछी से हिलाते जाएं। जब आटा कुछ लाल हो जाए तब बीच-बीच में उसके ऊपर दूध छिड़कते जाएं। ऐसा करते-करते आटे की गांठे सी बन जाएं तब कड़ाही को चूल्हे से नीचे उतारकर उसमें शर्करा, बादाम, पिश्ते, इलायजी, लौंग और कालीमिर्च का चूर्ण डालकर लड्डू बना लें। मूंग के ये लड्डू शीतल, वीर्यवर्धक और वातशामक होते हैं।
साबुत मूंग को पानी मे उबालकर उस पानी को छान लें। फिर इस पानी में नमक और कालीमिर्च को स्वाद के अनुसार डालकर थोड़ी सी हींग भी डाल लें। यह पानी ऐसे रोगी जिन्हे रोग के कारण अन्न देना मना हो देना काफी लाभकारी रहता है।
24 गाजर : गाजर में विटामिन `ई´ पर्याप्त मात्रा में होता है। इस कारण यह पुरुषों के लिए शक्तिवर्द्धक टानिक का काम करती है।लगभग 250 ग्राम कच्ची गाजर खाने से और उसके ऊपर से लगभग 1 लीटर पानी पीने से ‘शरीर में शक्ति बढ़ती है और शरीर मजबूत होता है।गाजर, पीपर, आंवला, चौलाई, इमली, सेब, मूली के पत्ते और संतरा खाने से शरीर में खून की वृद्धि होती है।लगभग 125 मिलीलीटर की मात्रा में गाजर का रस रोजाना सुबह और शाम पीने से शरीर में होने वाले फोड़े-फुन्सियां ठीक हो जाते है। इसके अलावा शरीर का खून भी साफ हो जाता है और शरीर का वजन बढ़ जाता है।इसका सेवन लगातार लगभग 15 या 20 दिनों तक करना चाहिए।
25. मेथी : मेथी में कोलाइन तत्त्व होता है, जो विचार शक्ति को बढ़ाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर में रोग-प्रतिरोधक (रोग-निरोधक) क्षमता को बढ़ाते हैं। 2 चम्मच दाना मेथी को एक गिलास पानी में 5 घंटे तक भिगोयें और फिर इतना उबाल लें कि चौथाई मात्रा में रह जाये। इसे छानकर इसमें 2 चम्मच शहद को मिलाकर एक बार रोजाना पियें। मेथी में लोहा होता है जो शक्ति देता है, खून बढ़ाता है। मेथी के पत्तों की सब्जी खानी चाहिए।100 ग्राम दाना मेथी को घी में भूनकर मोटा-मोटा पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पानी से फंकी के रूप में लें। इसको लेने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और वीर्य पुष्ट होता है।1.1 किलो दाना मेथी और गेहूं को एक साथ मिलाकर पीस लें। फिर इसको रोजाना 2 चम्मच के रूप में लगातार 2 महीने तक सुबह और शाम दूध के साथ फंकी के रूप में लेने से शरीर मजबूत होता है। रोजाना 2 बार 1 चम्मच दाना मेथी की फंकी पानी से लेने से स्नायविक दौर्बल्य, कमजोरी और सूखा रोग दूर हो जाता है।
26. संतरा : 1 गिलास संतरे का रस रोजाना दो बार कुछ सप्ताह तक पीते रहने से शरीर में ताकत आ जाती है। जो बच्चे बोतल से दूध पीते हैं कमजोर होते है, उनके लिए संतरे का रस बहुत लाभदायक होता है।
27. सफेद पेठा : भोजन करने के बाद पेठे की मिठाई खाने से शरीर मजबूत और ताकतवर बनता है। पित्त विकार में 2-2 पेठे के टुकड़े रोजाना खाने से लाभ होता है।
28. पुनर्नवा : पुनर्नवा को दूध के साथ खाने से शरीर मजबूत और ताकतवर बनता है।
28. फालसा : पके फालसे का सेवन करने से शरीर मजबूत और ताकतवर बनता है। यह हृदय रोग और रक्तपित्त या खूनी पित्त में भी काफी हितकारी होता है।
29 पपीता : बच्चों को रोजाना पपीता खिलाने से उनकी लम्बाई बढ़ती है और शरीर मजबूत तथा सेहत सही बनी रहती है।
30 अर्जुन : अर्जुन बलकारक है तथा अपने लवण-खनिजों के कारण हृदय की मांसपेशियों को सशक्त बनाता है। दूध तथा गुड़, चीनी आदि के साथ जो अर्जुन की छाल का पाउडर नियमित रूप से लेता है, उसे हृदय रोग, जीर्ण ज्वर, रक्त-पित्त कभी नहीं सताते और वह चिरजीवी होता है।
31. दूध व चावल की खीरः यह सर्वप्रिय, शीतल, पित्तशामक, मेदवर्धक, शक्तिदायक, वातपित्त, रक्तपित्त, अग्निमांद्य व अरूचि का नाश करने वाला सात्त्विक आहार है। यह शरद ऋतु में विशेष लाभकारी है।
विधिः प्रति व्यक्ति एक के हिसाब से काली मिर्च डालकर चावल को पहले पका लें। फिर उसमें दूध, मिश्री व डालनी हो तो इलायची डालकर एक उबाल आने पर उतार लें और ढक के रख दें। रात को खीर बनानी हो तो काली मिर्च न डालें।
32 बथुआ : बथुआ को साग के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए। पत्तों के साग में बथुआ का साग सबसे अधिक फायदेमन्द और सेहतमन्द होता है। इसका सेवन निरन्तर रूप से करने से मनुष्य की मर्दानगी बढ़ती है, खून में वृद्धि होती है, याद्दाश्त मजबूत होती है, आमाशय मजबूत होता है, पथरी से बचाव होता है, कब्ज और पेट में होने वाली जलन से छुटकारा मिल जाता है। हरे बथुए का सेवन अधिक लाभकारी होता है। अगर हरा बथुआ न मिले तो इसे सूखाकर रोटी में मिलाकर खाने से बहुत लाभ मिलता है
33. 3 से 5 अंजीर को दूध में उबाल कर या अंजीर खाकर दूध पीने से शक्ति बढ़ती है।
34.तिल के तेल से मालिश करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढती है और मांसपेशियों को बल मिलता है
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आँखों की ज्योति बढ़ाने के साथ ही शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाने वाला एक अनुभूत उत्तम प्रयोग प्रस्तुत हैः आधा चम्मच ताजा मक्खन, आधा चम्मच पिसी हुई मिश्री और 5 काली मिर्च मिलाकर चाट लो। इसके बाद कच्चे नारियल की गिरी के 2-3 टुकड़े खूब चबा-चबाकर खायें ऊपर से थोड़ी सौंफ चबाकर खा लो। बाद में दो घंटे तक कुछ न खायें। यह प्रयोग प्रातः खाली पेट 2-3 माह तक करो।

प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर भ्रमण के लिए नियमित रूप से जाना आँखों के लिए बहुत हितकारी होता है। जब सूर्योदय हो रहा हो तब कहीं हरी घास हो तो उस पर 15-20 मिनट तक नंगे पैर टहलना चाहिए। घास पर रातभर गिरने वाली ओस की नमी रहती है। नंगे पैर इस पर टहलने से आँखों को तरावट मिलती है और शरीर की अतिरिक्त रूप से बढ़ी हुई उष्णता में कमी आती है। यह उपाय आँखों की ज्योति की रक्षा करने के अतिरिक्त शरीर को भी लाभ पहुँचाता है।

1 गिलास ताजे और साफ पानी में नींबू का 5-6 बूँद रस टपका दो और इस पानी को साफ कपड़े से छान लो। दवाई (केमिस्ट) की दुकान से आँख धोने का पात्र (आई वाशिंग ग्लास) ले आओ। इससे दिन में 1 बार आँखों को धोना चाहिए। धोने के बाद ठंडे पानी की पट्टी आँखों पर रखकर 5-10 मिनट लेटना चाहिए। पानी अत्यधिक शीतल भी न हो। इस प्रयोग से नेत्रज्योति बढ़ती है।

अगर आप आँखों को स्वस्थ रखने की इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दो और नियमित रूप से सावधानी पूर्वक इन प्रयोगों को करते रहो तो आप लम्बे समय तक अपनी आँखों को विभिन्न रोगों से बचाकर उन्हें स्वस्थ, सुन्दर और आकर्षक बनाये रख सकते हैं।
प्रतिदिन प्रातःकाल जलनेति करो।

नीम पर की हरी गुडुच (गिलोय) लाकर उसे पत्थर से बारीक पीसकर, कपड़े से छानकर एक तोला रस निकालें। अगर हरी गुडुच (गिलोय) न मिले तो सूखी गिलोय का चूर्ण 12 घंटे तक भिगोकर रखें। उसके बाद कपड़े से छानकर उसका एक तोला रस निकालें। इस रस में 6 मुंजाभार शुद्ध शहद एवं उतनी ही मात्रा में अच्छे स्तर का सेंधा नमक डालकर खूब घोंटें। अच्छी तरह से एकरस हो जाने पर इसे आँखों में डालें।

डालने की विधिः रात्रि को सोते समय बिना तकिये के सीधे लेट जायें। फिर आँखों की ऊपरी पलक को पूरी तरह उलट करके ऊपरी सफेद गोलक पर रस की एक बूँद डालें एवं दूसरी बूँद नाक की ओर के आँख के कोने में डालें और आँखें बन्द कर लें। पाँच मिनट तक आँखों को बंद रखते हुए आँखों के गोलक को धीरे-धीरे गोल-गोल घुमायें ताकि रस आँखों के चारों तरफ भीतरी भाग में प्रवेश कर जाय। सुबह गुनगुने पानी से आँखें धोयें। ऐसा करने से दोनों आँखों से बहुत-सा मैल बाहर आयेगा, उससे न घबरायें। यही वह मैल है जिसके भरने से दृष्टि कमजोर हो जाती है। प्रतिदिन डालने से धीरे-धीरे वह एकत्रित हुआ कफ बाहर निकलता जायेगा और आँखों का तेज बढ़ता जायेगा। निरंतर चार महीने तक डालनेपर आश्चर्यजनक लाभ होगा।

आँख के मरीजों को सदैव सुबह-शाम 4 तोला पथ्यादि क्वाथ जरूर पीना चाहिए।

पथ्यादि क्वाथः हरड़, बहेड़ा, आँवला, चिरायता, हल्दी और नीम की गिलोय को समान मात्रा में लेकर रात्रि को कलईवाले बर्तन में भिगोकर सुबह उसका काढ़ा बनायें। उस काढ़े में एक तोला पुराना गुड़ डालकर थोड़ा गरम-गरम पियें
एलोवेरा 5,000 वर्ष पुरानी रामबाण औषधि है। इसका वनस्पति नाम धृतकुमारी,ग्वारपाठा है।इसे संजीवनी पौधा भी कहा जाता है। इसकी लगभग 250 उपजातियां हैं जिनमें से कुछ गिनी चुनी ही औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है। उन कुछ प्रजातियों में से एक है जो सबसे ज्यादा प्रभावशाली है वह है बार्बाडेन्सीस मीलर । हमारे शरीर को 21 अमीनो एसिड की जरूरत होती है जिनमें से 18 अमीनो एसिड केवल एलोवेरा में मिलते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं ऐलोवेरा के ऐसे 25 उपयोग जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे.

• एलोवेरा जूस मे कैल्सियम ,सोडियम,आइरन,पोटैशियम , क्रोमियम , मैग्निशियम ,मैंगनीज , तांबा और जस्ता आदि खनिज लवण पाए जाते है
• हाजमे को दुरुस्त रखने मे मददगार एलोवेरा जूस मे कुदरती विषैलेपन को दूर करने की क्षमता होती है
• एलोवेरा में 18 धातु, 15 एमिनो एसिड और 12 विटामिन मौजूद होते हैं, जो खून की कमी को दूर कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं
• एलोवेरा का जूस गर्भाशय के रोग तथा पेट के विकारों को दूर करता है।
• एलोवेरा फ्राइब्रोब्लास्ट की क्षमता को बढ़ाता है । ये मामुली जलन व अंदरूनी चोटों में यह मरहम की तरह काम करता है
• अस्थमा की समस्या में भी एलोवेरा रामबाण की तरह काम करता है।
• एक बढिय़ा हेयर कंडीशनर है
• एलोवेरा जूस के रोजाना यूज से शरीर दुरुस्त और सेहत बरकरार रहती है ।
• विटामिन की रोजाना खुराक एलोवेरा मे विटामिन ए, बी1,बी6,बी12, सी और फोलिक एसिड तथा नियासिन पाए जाते है जो शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं
• गंजेपन की समस्या को दूर करता है।
• अल्सर की परेशानी को मिटाता है
• एक गिलास ठंडे नारियल पानी में दो से चार चम्मच एलोवेरा का रस या पल्प (गूदा) मिलाकर पीने से शरीर को ठंडक मिलती है
• बवासीर में बहुत लाभदायक है।
• यह मच्छर से भी त्वचा की सुरक्षा करता है।
• घाव,खरोंचो, धूप की जलन और खाज, खुजली को कम करने ( बचाव ) मे भी मदद करता है ।
• रक्त में शुगर के स्तर को नियंत्रित कर डायबिटीज को कंट्रोल करता है
• बहुत पौष्टिक होता है।
• झुर्रियों को खत्म करता है।
• माइनर वेजाइनल इंफेक्शन में एक अच्छी औषधि की तरह काम करता है
• इसे स्किन पर हुए किसी भी रिएक्शन में एंटीडॉट की तरह यूज किया जा सकता है।
•जोड़ों के दर्द में रामबाण की तरह काम करता है।
• शुद्ध एलोजेल से बने एलोवेरा जूस रोज पीने से आंते दुरुस्त रहती है , प्रोटीन ग्रहण करने की क्षमता बढती है तथा नुकसानदेह बैक्टीरिया कम होते है
• एलोवेरा के पल्प (गुदे) में मुल्तानी मिट्टी या चंदन पाऊडर में मिलाकर लगाने से त्वचा के कील – मुहांसे ठीक हो जाते हैं।
• गर्मी, उमस और बारिश के कारण निकलने वाले फोड़े• फुंसियों पर भी इसका रस लगाने पर आराम मिलता है और तीन – चार बार लगाने से वो ठीक भी हो जाते हैं।
• सुबह उठकर खाली पेट एलोवेरा की पत्तियों के रस का सेवन करने से पेट में कब्ज की समस्या से निजात मिलती है
• गुलाब जल में एलोवेरा का रस मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा में नमी बरकरार रहती है और खोई नमी लौटती है।
• एलोवेरा का जूस मेहंदी में मिलाकर बालों में लगाने से बाल चमकदार तथा स्वस्थ रहते हैं।
• इसके अलावा शारीरिक ऊर्जा, पाचन क्रिया तथा त्वचा – पुनर्निर्माण के लिए भी एलोवेरा का रस और पल्प (गूदा) काफी लाभदायक होता
• एक्जिमा में कारगर दवा है।
• स्केयर माक्र्स व स्ट्रेच माक्र्स मिटाता है
• कहीं भी जलने या चोट लगने पर एलोवेरा का रस लगाने से बहुत आराम मिलता है।
•एलोवेरा के 13 कुदरती तत्व जो किसी भी साइड इफेक्ट के बगैर जलन और सुजन को रोकते है ।
• स्वस्थ और स्वच्छ दांत एलोवेरा आपके मुंह और मसूढों के लिए बहुत फायदेमंद है।
• शरीर की स्किन को स्मूथ बनाने के लिए एक एलोवेरा का स्लाइस लेकर बॉडी पर हल्के से रगड़े व फिर शॉवर लें। स्किन एकदम स्मूथ हो जाएगी
• शुद्ध एलोवेरा जेल से बने एलोवेरा जूस के रोजाना इस्तेमाल से स्किन ग्लो करने लगती है
• बालों को घना, काला व मजबूत बनाता है।
• दिल की बीमारियों से बचाता है।
• कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करता है।
• शुद्ध एलो जेल से बने एलोवेरा जूस रोजाना पीने से अन्दर से भरपूर तन्दुरुस्ती का अहसास होता है , उर्जा का उच्च स्तर मिलता है और वजन शरीर के अनुकूल रहता
 👉 डा० हार्दिक शाह !
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) सामान्य अस्पताल
( Civil Hospital )
मुम्बई
यह संदेश भारत में कार्यरत डाक्टरों के समूह से है, जिसको आम जनता के हित में भेजा जा रहा है ।
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1) कृपया APPY FIZZ का सेवन न करें, क्योंकि इसमें कैंसर
पैदा करने वाले रसायन है ।
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2) कोक या पेप्सी सेवन करने से पहले व बाद में मेन्टोस का सेवन न करें क्योंकि इसका सेवन करने से मिश्रण साईनाइड में बदल जाता है, जिससे सेवन करने वाले व्यक्ति की मौत
हो सकती है ।
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3) कुरकुरे का सेवन न करें क्योंकि इसमें प्लास्टिक की काफ़ी मात्रा होती
है । इसकी पुष्टी के लिये कुरकुरे
को जलायें तो देखेंगे कि प्लास्टिक पिघलने लगा है --टाइम्स
आफ़ इण्डिया की रिपोर्ट
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4) इन गोलियों का सेवन तुरन्त बन्द करें क्योंकि ये बहुत ख़तरनाक है:-
* डी-कोल्ड /D-cold
 Vicks Action-500
* एक्टिफाइड/Actified
* कोल्डारिन/Coldarin
* कोसोम/Cosome
* नाईस/Nice
* निमुलिड़/Nimulid
* सैट्रीजैट-डी/Cetrizet-D
इन गोलियों में फिनाईल प्रोपेनोल- एमाइड पीपीए होता है
जिससे ह्रदयाघात् होता है । इसलिये यह दवा अमेरिका में
प्रतिबन्धित है ।
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वटसएप पर आप मुफ़्त में महत्वपूर्ण सूचना से सभी को अवगत करा सकते हैं अत: इसे पढ़े और सभी को सूचित करें ।
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अमेरिका के डाक्टरों को व्यक्तियों में हो रहे नये क़िस्म के कैंसर का पता चला है जोकि "सिल्वर नाइट्रो आक्साइड"के कारण पनप रहा है ।
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मोबाइल चार्ज करने के लिये रीचार्ज कार्ड ख़रीदें तो कोड नम्बर के लिये कोड लाइन को नाख़ून से न खुर्चें,
क्योंकि कोड को छुपाने में सिल्वर "नाइट्रो आक्साइड" नाम के रसायन
की परत होती है, जिससे त्वचा का कैंसर होता है ।
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महत्वपूर्ण स्वास्थ्य बातें:-
* सेलफ़ोन पर बातें करते समय बायें कान की तरफ़ रखें ।
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* ठण्डे पानी के साथ गोलियाँ न लेवें ।
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* सांय पाँच बजे के बाद भारी भोजन का सेवन न करें ।
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* हमेशा! सुबह ज़्यादा पानी पीयें, व रात के समय कम ।
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* सोने का सबसे अच्छा समय रात के दस बजे से सुबह चार बजे तक होता
है ।
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* दवाईयां खाना लेने के बाद तुरन्त न लेवें।
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* जब भी बैटरी अंतिम बार पर हो, सैलफ़ोन से बात न करें,क्योंकि तब ध्वनी तरेंगे एक हज़ार गुणा शक्तिशाली हो जाती है ।
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अमेरीकी रसायन अनुसंधान केन्द्र
के जाँच परिणाम के अनुसार:
* चाय को न तो प्लास्टिक के कपों में पीयें न ही प्लास्टिक पेपर पर भोजन करें । क्योंकि प्लास्टिक गरम होने पर इसमें रासायनिक पर िवर्तन होने लगते
हैं जिनसे 52 प्रकार के कैंसर होने का ख़तरा है ।
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एक अच्छे संदेश से सभी को अवगत
करवाना हँसी मज़ाक़ के 100 संदेश भेजने से अच्छा है ।
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यह सभी के लिये उपयोगी है।
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ज्ञान बडा महत्वपूर्ण है जितना
बाटोगे उतना बडेगा ।
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👏👏👏👏👏कपया अपने परिचितों ,दोस्तो ,रिस्तेदारों को अवश्य अवगत कराये
प्राकृतिक पैथी के डॉक्टरों ने पानी के ज़रिये इन बीमारियों का इलाज किया है।
1⃣ लकवा(Paralysis)
2⃣ बहोशी
3⃣ बलड कोलेस्ट्रोल
4⃣ सर का दर्द(headache)
5⃣ बलड प्रेशर
6⃣ बलग़म (phlegm)
7⃣ खांसी(cough)
8⃣ दमा (asthama)
9⃣टीबी (Tuberculosis)
🔟 मनन जॉइंटिस ( JAUNDICE)
1⃣1⃣ जिगर(Liver)की बीमारी
1⃣2⃣ पशाब की बीमारियाँ
1⃣3⃣ तज़बियत(acidity)
1⃣4⃣ पट की गैस
1⃣5⃣ पट में मरोड़ (colic)
1⃣6⃣ क़बज़ ( Constipation)
1⃣7⃣ डायबिटीज
1⃣8⃣ बवासीर (Piles)
1⃣9⃣ आख की बीमारियाँ
2⃣0⃣ हज़ (औरतों के period आना)
2⃣1⃣ बच्चे दानी (womb;uterus) का कैंसर
2⃣2⃣ नाक व गले की बीमारियाँ
🍸पानी पीने का तरीका🍸

बिना मुंह धोए और बिना कुल्ली किए नहार मुहं 1250ml मतलब 4 बड़े गिलास पानी संभव हो तो जमीन पर पालथी में बैठकर एक साथ पी जाएँ।
अब 45 mint तक कुछ भी ना खाएं पीयें ।
अगर शुरू(starting)में 4 गिलास पानी नहीं पी सकते हैं तो 1 या 2 गिलास से शुरू करें। धीरे धीरे बढ़ा कर 4 गिलास कर दें। मरीज़ ठीक होने के लिए और जो मरीज़ ना हो वह fit रहने के लिए यह इलाज का तरीका अपनाये।
Doctors का कहना है कि इस इलाज(इस तरीके से पानी पीने)से निम्नलिखित बीमारियाँ बताये हुए दिनों में ठीक हो सकती हैं।
1⃣क़बज़ (मलावरोध Constipation) ➡️ 2 दिन
2⃣गस की बीमारियाँ➡️ 2 दिन
3⃣diabetes(शूगर)➡️1 हफ्ता
4⃣उच्च रक्त चाप(high blood pressure)➡️1 महिना
5⃣कसर➡️ 1 महिना
6⃣ टीबी(tuberculosis)➡️ 3 महिना

💎 4⃣ बड़े गिलास पानी एक साथ पीने से कोई नुक़सान(side effects) नहीं होता हाँ पेट ज़रूर भर जाता है। 45 mint के बाद भूख लग जाएगी l
शुरू(starting) में तीन दिन हो सकता है कि कुछ बार पेशाब जल्दी जल्दी लगे। उसके बाद daily routine के हिसाब से पेशाब आने लगेगा।
🌴🌴 यह संदेश आप पढने के बाद आगे किसी को नहीं भेजेगें तो कोई नुक्सान नहीं होने वाला किंतु यदि आप आगे forward करते हैं तो हो सकता है कि किसी को लाभ मिल जाए l 🌴🌴
डा० अनीश गर्ग
योग एवं प्राकतिक चिकित्सक
09814971248
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आटा भिगोते ही तुरंत इस्तेमाल
करना चाहिए वरना उसमे ऐसे रासायनिक
बदलाव आते है जो सेहत के लिए बहुत
हानिकारक हो सकते है . ऐसा आयुर्वेद में
स्पष्ट कहा गया है . इसलिए फ्रिज
का इस्तेमाल आटा रखने के लिए ना करे . कुछ
ही दिन में ऐसी आदत बन
जायेगी की जितनी रोटियाँ लगती है
उतना ही आटा भिगोया जाए और इसमें
ज़्यादा समय भी नहीं लगता . ताज़े आते
की रोटियाँ ज़्यादा स्वादिष्ट और
पौष्टिक होती है
तंबाकू खाने की आदत छुड़ाने में मनोवैज्ञानिक सलाह के अलावा निम्नलिखित घरेलू नुस्खे भी अपनाए जा सकते हैं -



बारीक सौंफ के साथ मिश्री के दाने मिलाकर धीरे-धीरे चूसें, नरम हो जाने पर चबाकर खा जाएं।
अजवाइन साफ कर नींबू के रस व काले नमक में दो दिन तक भींगने दें। इसे छांव में सुखाकर रख लें। इसे मुंह में रखकर चूसते रहें।
छोटी हरड़ को नींबू के रस व सेंधा नमक (पहाड़ी नमक) के घोल में दो दिन तक फूलने दें। इसे निकाल कर छांव में सुखाकर शीशी में भर लें और इसे चूसते रहें। नरम हो जाने पर चबाकर खा लें।
तंबाकू सूंघने की आदत छोड़ने के लिए गर्मी के मौसम में केवड़ा, गुलाब, खस आदि के इत्र का फोहा कान में लगाएं।
सर्दी के मौसम में तंबाकू खाने की इच्छा होने पर हिना की खुशबू का फोहा सूंघें।
खाने की आदत को धीरे-धीरे छोड़ें। एकदम बंद न करें, क्योंकि रक्त में निकोटिन के स्तर को क्रमशः ही कम किया जाना चाहिए
☕️ चाय पिने वाले इसे जरूर पढ़े !!!!!!!!!!!!!!

सिर्फ दो सौ वर्ष पहले तक भारतीय घर में चाय नहीं होती थी। आज कोई भी घर आये अतिथि को पहले चाय पूछता है। ये बदलाव अंग्रेजों की देन है। कई लोग ऑफिस में दिन भर चाय लेते रहते है., यहाँ तक की उपवास में भी चाय लेते है । किसी भी डॉक्टर के पास जायेंगे तो वो शराब - सिगरेट - तम्बाखू छोड़ने को कहेगा , पर चाय नहीं,
क्योंकि यह उसे पढ़ाया नहीं गया और वह भी खुद इसका गुलाम है. परन्तु किसी अच्छे वैद्य के पास जाओगे तो वह पहले सलाह देगा चाय ना पियें। चाय की हरी पत्ती पानी में उबाल कर पीने में कोई बुराई नहीं परन्तु जहां यह फर्मेंट हो कर काली हुई सारी बुराइयां उसमे आ जाती है। आइये जानते है कैसे? अंत में विकल्प ज़रूर पढ़ लें: -
हमारे गर्म देश में चाय और गर्मी बढ़ाती है, पित्त बढ़ाती है। चाय के सेवन करने से शरीर में उपलब्ध
विटामिन्स नष्ट होते हैं। इसके सेवन से स्मरण शक्ति में दुर्बलता आती है। - चाय का सेवन लिवर पर बुरा प्रभाव डालता है।
🌞१. चाय का सेवन रक्त आदि की वास्तविक उष्मा को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
🌞 २. दूध से बनी चाय का सेवन आमाशय पर बुरा प्रभाव डालता है और पाचन क्रिया को क्षति पहुंचाता है।
🌞 ३. चाय में उपलब्ध कैफीन हृदय पर बुरा प्रभाव डालती है, अत: चाय का अधिक सेवन प्राय: हृदय के रोग को उत्पन्न करने में सहायक
होता है।
🌞 ४. चाय में कैफीन तत्व छ: प्रतिशत मात्रा में होता है जो रक्त को दूषित करने के साथ शरीर के अवयवों को कमजोर भी करता है।
🌞 ५. चाय पीने से खून गन्दा हो जाता है और चेहरे पर लाल फुंसियां निकल आती है।
🌞६. जो लोग चाय बहुत पीते है उनकी आंतें जवाब दे जाती है. कब्ज घर कर जाती है और मल निष्कासन में कठिनाई आती है।
🌞७. चाय पीने से कैंसर तक होने
की संभावना भी रहती है।
🌞८. चाय से स्नायविक गड़बडियां होती हैं, कमजोरी और पेट में गैस भी।
🌞९. चाय पीने से अनिद्रा की शिकायत भी बढ़ती जाती है।
🌞१०. चाय से न्यूरोलाजिकल गड़बड़ियां आ जाती है।
🌞 ११. चाय में उपलब्ध यूरिक एसिड से मूत्राशय या मूत्र नलिकायें निर्बल
हो जाती हैं, जिसके परिणाम स्वरूप चाय का सेवन करने वाले
व्यक्ति को बार-बार मूत्र आने की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
🌞१२. इससे दांत खराब होते है. - रेलवे स्टेशनों या टी स्टालों पर बिकने वाली चाय का सेवन यदि न करें तो बेहतर होगा क्योंकि ये बरतन को साफ किये बिना कई बार इसी में चाय बनाते रहते हैं जिस कारण कई बार चाय विषैली हो जाती है। चाय को कभी भी दोबारा गर्म करके न पिएं तो बेहतर होगा।
🌞 १३. बाज़ार की चाय अक्सर अल्युमीनियम के भगोने में
खदका कर बनाई जाती है। चाय के अलावा यह अल्युमीनियम भी घुल कर पेट की प्रणाली को बार्बाद करने में कम भूमिका नहीं निभाता है।
🌞 १४. कई बार हम लोग बची हुई चाय को थरमस में डालकर रख देते हैं इसलिए भूलकर भी ज्यादा देर तक थरमस में रखी चाय का सेवन न करें। जितना हो सके चायपत्ती को कम उबालें तथा एक बार चाय बन जाने पर इस्तेमाल की गई चायपत्ती को फेंक दें।
🌞१५. शरीर में आयरन अवशोषित ना हो पाने से एनीमिया हो जाता है. - इसमें मौजूद कैफीन लत लगा देता है. लत हमेशा बुरी ही होती है.
🌞१६. ज़्यादा चाय पिने से खुश्की आ जाती है.आंतों के स्नायु भी कठोर बन जाते हैं।
🌞१७. चाय के हर कप के साथ एक या अधिक चम्मच शकर
ली जाती है जो वजन बढाती है।
😝१८. अक्सर लोग चाय के साथ नमकीन , खारे बिस्कुट ,पकौड़ी आदि लेते है. यह विरुद्ध आहार है. इससे त्वचा रोग होते है.।
🌞 १९. चाय से भूख मर जाती है, दिमाग सूखने लगता है, गुदा और वीर्याशय ढीले पड़ जाते हैं। डायबिटीज़ जैसे रोग होते हैं। दिमाग सूखने से उड़ जाने वाली नींद के कारण आभासित कृत्रिम स्फूर्ति को स्फूर्ति मान लेना, यह
बड़ी गलती है।
🌞२०. चाय-कॉफी के विनाशकारी व्यसन में फँसे हुए लोग स्फूर्ति का बहाना बनाकर हारे हुए जुआरी की तरह व्यसन
में अधिकाधिक गहरे डूबते जाते हैं। वे लोग शरीर, मन, दिमाग और
पसीने की कमाई को व्यर्थ गँवा देते हैं और भयंकर व्याधियों के शिकार बन जाते हैं।


🌞 चाय का विकल्प :-🌞
👉 पहले तो संकल्प कर लें की चाय नहीं पियेंगे. दो दिन से एक हफ्ते तक याद आएगी ; फिर सोचोगे अच्छा हुआ छोड़ दी.एक दो दिन सिर दर्द हो सकता है.
👉 सबह ताजगी के लिए गर्म पानी ले. चाहे तो उसमे आंवले के टुकड़े मिला दे. थोड़ा एलो वेरा मिला दे.
👉 सबह गर्म पानी में शहद निम्बू डाल के पी सकते है. - गर्म पानी में तरह तरह की पत्तियाँ या फूलों की पंखुड़ियां दाल कर पी सकते है. जापान में लोग ऐसी ही चाय पीते है और स्वस्थ और दीर्घायु होते है.
👉 कभी पानी में मधुमालती की पंखुड़ियां , कभी मोगरे की , कभी जासवंद , कभी पारिजात आदि डाल कर पियें.
👉 गर्म पानी में लेमन ग्रास , तेजपत्ता , पारिजात ,आदि के पत्ते या अर्जुन की छाल या इल

Paras Agrawala, [21.08.15 22:28]
ायची , दालचीनी इनमे से एक कुछ डाल कर पियें ।


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